अपने लिए और दूसरों के लिए सकारत्मक सोच रखना क्यों जरूरी है
अपने लिए और दूसरों के लिए सकारत्मक सोच रखना क्यों जरूरी है
नमस्ते मित्रों मैं धर्मेन्द्र (गुमनाम मुसाफिर) आपके साथ
आज के ब्लॉग में एक नये शीर्षक के साथ आज का शीषर्क है
अपने लिए और दूसरों के लिए सकारत्मक सोच रखना क्यों जरूरी है
आप सब सबने कहीं ना कहीं सुना ही होगा कि आपकी सोच आपको महान बनाती है।
महात्मा गांधी का प्रसिद्ध कथन है कि इंसान वैसा ही बनता जाता है जैसी वह सोच रखता है। यह कथन छोटे या बड़े हर व्यक्ति पर लागू होता है। आप जिंदगी में सफल तभी हो सकते हैं जब आप सफलता हासिल करने के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे। अगर अपनी खामियां ढूंढ-ढूंढकर खुद को कमतर ही आंकते रहेंगे तो कभी सफलता की ओर कदम नहीं बढ़ा सकेंगे।
कहते हैं सकारात्मक विचार एवं नकारात्मक विचार बीज की तरह होते है जिन्हे हम दिमागी रुपी ज़मीन में बोते हैं जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण एंव व्यवहार रुपी पेड़ का निर्धारण करता है एक तरफ नकारात्मक विचार हमे घोर अंधकार में धकेल सकते हैं वहीं दूसरी तरफ सकारात्मक सोच हमें असफलता के अंधकार से निकाल सकती हैं कुछ लोग कहते हैं की ये बातें कहने और सुनने में अच्छी लगती हैं पर हमारे बीच में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनके बारें में आप जानेंगे तो आप भी सकारात्मक विचारों की शक्ति के बारे में समझ जाएंगे आइये जानते हैं कुछ ऐसे उदाहरण जिनके द्वारा आपको सकारात्मक सोच की शक्ति महसूस होगी।
उदाहरण 1.- जो उदाहरण बताने जा रहा हूं उसे आप सब ने वास्तविक तरीके से महसूस किया होगा, आप को कभी थकावट होती है आप थकावट को अनदेखा करके या तो आप अपने कार्यो में लग जाते हो या आराम करने लगते है, इन दोनों क्रियाओं में आप अभी तक नकारात्मक सोच से दूर थे। आपने थकावट को थकावट की तरह लिया इसलिए आप स्वस्थ्य रहे, वहीं आप दूसरी तरफ य़ह सोच लेते की ये थकावट नहीं है, अब मैं बीमार पड़ने वाला हू कमजोरी सी महसूस हो रहीं है और यह निश्चय है कि आप कुछ समय बाद आप बीमार पड़ जाते है छोटी बीमारियों के 70 से 80 % कारण उनकी सोच होती है
उदाहरण 2.- अंध विश्वास की दुनिया में कुछ लोग अपनी समस्या लेकर बाबाओं फकीरों के पास जाते है, आप सबने ध्यान दिया हो तो, वो लोग आपसे यही बोलते है कि जो भी आपको प्रक्रिया बताएंगे आपको उसको श्रधा सच्चे मन और लगन के साथ करनी होगी, हमारी भाषा में सकारत्मक सोच के साथ क्योंकि वो जानते कि उनके जादू टोना में कोई दुनिया से हटके शक्ति नहीं है बस उन्हें भरोसा होता है कि यदि सामने वाले ने अपनी सकारत्मक सोच रखी तो इसे सफल जरूर मिलेगी, आपने देखा होगा सबकी समस्याओ का समाधान नहीं हो पाता है कुछ गिनती के ही लोग होते है जिन्हें अपनी समस्याओं से निजात मिलता है उसका कारण सकारत्मक सोच है लेकिन वो सोचते है, की बाबा की पूजा पाठ से सब ठीक हो गया है
उदाहरण 3.- आप सब इस घटना से भी परिचित ही होंगे आपने यह महसूस भी की होगी आपने सोचा है कभी आप अंधेरे में होते हो जब तक आपका ध्यान किसी और बातों में होता है तो आपको डर नहीं लगता है जैसे ही आपके दिमाग में दूसरे की बताई हुई घटनाये घूमने लगती है और आपके दिमाग में कुछ अलग घटनाओ का निर्माण होने लगता है जैसे छोटी सी आवाज आते ही आपको लगता है कि कोई आ गया, और उस समय हर उस घटना को आप आपने माइंड मेप में घुमाते है जो आपने डर के नाम पर सुनी हुई होती है
आप सब सबने कहीं ना कहीं सुना ही होगा कि आपकी सोच आपको महान बनाती है।
महात्मा गांधी का प्रसिद्ध कथन है कि इंसान वैसा ही बनता जाता है जैसी वह सोच रखता है। यह कथन छोटे या बड़े हर व्यक्ति पर लागू होता है। आप जिंदगी में सफल तभी हो सकते हैं जब आप सफलता हासिल करने के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे। अगर अपनी खामियां ढूंढ-ढूंढकर खुद को कमतर ही आंकते रहेंगे तो कभी सफलता की ओर कदम नहीं बढ़ा सकेंगे।
कहते हैं सकारात्मक विचार एवं नकारात्मक विचार बीज की तरह होते है जिन्हे हम दिमागी रुपी ज़मीन में बोते हैं जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण एंव व्यवहार रुपी पेड़ का निर्धारण करता है एक तरफ नकारात्मक विचार हमे घोर अंधकार में धकेल सकते हैं वहीं दूसरी तरफ सकारात्मक सोच हमें असफलता के अंधकार से निकाल सकती हैं कुछ लोग कहते हैं की ये बातें कहने और सुनने में अच्छी लगती हैं पर हमारे बीच में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनके बारें में आप जानेंगे तो आप भी सकारात्मक विचारों की शक्ति के बारे में समझ जाएंगे आइये जानते हैं कुछ ऐसे उदाहरण जिनके द्वारा आपको सकारात्मक सोच की शक्ति महसूस होगी।
उदाहरण 1.- जो उदाहरण बताने जा रहा हूं उसे आप सब ने वास्तविक तरीके से महसूस किया होगा, आप को कभी थकावट होती है आप थकावट को अनदेखा करके या तो आप अपने कार्यो में लग जाते हो या आराम करने लगते है, इन दोनों क्रियाओं में आप अभी तक नकारात्मक सोच से दूर थे। आपने थकावट को थकावट की तरह लिया इसलिए आप स्वस्थ्य रहे, वहीं आप दूसरी तरफ य़ह सोच लेते की ये थकावट नहीं है, अब मैं बीमार पड़ने वाला हू कमजोरी सी महसूस हो रहीं है और यह निश्चय है कि आप कुछ समय बाद आप बीमार पड़ जाते है छोटी बीमारियों के 70 से 80 % कारण उनकी सोच होती है
उदाहरण 2.- अंध विश्वास की दुनिया में कुछ लोग अपनी समस्या लेकर बाबाओं फकीरों के पास जाते है, आप सबने ध्यान दिया हो तो, वो लोग आपसे यही बोलते है कि जो भी आपको प्रक्रिया बताएंगे आपको उसको श्रधा सच्चे मन और लगन के साथ करनी होगी, हमारी भाषा में सकारत्मक सोच के साथ क्योंकि वो जानते कि उनके जादू टोना में कोई दुनिया से हटके शक्ति नहीं है बस उन्हें भरोसा होता है कि यदि सामने वाले ने अपनी सकारत्मक सोच रखी तो इसे सफल जरूर मिलेगी, आपने देखा होगा सबकी समस्याओ का समाधान नहीं हो पाता है कुछ गिनती के ही लोग होते है जिन्हें अपनी समस्याओं से निजात मिलता है उसका कारण सकारत्मक सोच है लेकिन वो सोचते है, की बाबा की पूजा पाठ से सब ठीक हो गया है
उदाहरण 3.- आप सब इस घटना से भी परिचित ही होंगे आपने यह महसूस भी की होगी आपने सोचा है कभी आप अंधेरे में होते हो जब तक आपका ध्यान किसी और बातों में होता है तो आपको डर नहीं लगता है जैसे ही आपके दिमाग में दूसरे की बताई हुई घटनाये घूमने लगती है और आपके दिमाग में कुछ अलग घटनाओ का निर्माण होने लगता है जैसे छोटी सी आवाज आते ही आपको लगता है कि कोई आ गया, और उस समय हर उस घटना को आप आपने माइंड मेप में घुमाते है जो आपने डर के नाम पर सुनी हुई होती है
दूसरों के लिए सकारत्मक सोच रखना क्यों जरूरी है -
अगर आपको खुशहाल जीवन जीना है तो खुद के लिए और दूसरों के लिए सकारत्मक सोच रखना अत्यंत जरूरी है। क्योंकि ये न्यूटन के तीसरे नियम की तरह कार्य करता है आप दूसरों के लिए बुरा सोचोगे तो वह सोच आपके लिए भी बुरी ही साबित होगी, क्योंकि आप आपने लिये सोचो या दूसरों के लिए, इसके लिए आपको आपना ही दिमाग ईस्तेमाल करना होगा, इसमे यदि आप सकारत्मक सोच को डालते हो तो सबके लिए अच्छा होगा बहीं दूसरी तरफ आप नकारत्मक सोच रखते हों तो आपका माइंड मेप उसी आधार पर बनता जाएगा जो आपके जीवन में तमाम कठिनाइयां पैदा कर देगा।
विदा लेता हूं मित्रों मिलता हूँ नए ब्लॉग खुश रहिए मुस्काते रहिए 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteGjb morya ji
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