झाँसी या उत्तर प्रदेश का वुहान
देशव्यापी लॉकडाउन के अनलॉक होने के बाद से उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में नोवल कोरोना वायरस संक्रमण की न केवल रफ्तार लगातार बढ़ती ही जा रही है बल्कि अब तक पूरे बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा 19 लोगों की मौत भी यहीं हुई है।
देश में शुरू हुए कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में वीरांगना नगरी काफी सुरक्षित समझी जा रही थी। काफी समय तक यहां कोई संक्रमित नहीं मिला था। यहां 27 अप्रैल को पहला मामला सामने आया था। इसके बाद मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ परंतु संक्रमण की रफ्तार काबू में रही और 12 मई को जिला कोरोना मुक्त घोषित कर दिया गया था। इस खुशखबरी के मात्र 10 दिन बाद ही 22 मई को कोरोना के जानलेवा संक्रमण ने एक बार फिर जिले का रुख किया और मरीजों की संख्या बढ़नी शुरू हुई। अनलॉक होने के बाद तो हालत इतनी खराब हुई कि रविवार देर रात आई संदिग्ध नमूनों की जांच में से 21 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
जिले में अब कुल मरीजों की संख्या 199 हो गई है जिसमें से 19 की मौत हो चुकी है और 76 ठीक हो चुके हैं। प्रवासी श्रमिकों के आगमन के बाद जहां बाहरी इलाकों में संक्रमण बढ़ रहा था, वहीं 22 मई के बाद से महानगर के भीतर संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। पिछले 10 दिनों में यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इतना ही नहीं पूरे बुंदेलखंड में कोरोना से होने वाली मौतों का सवार्धिक आंकडा भी झांसी में ही है ।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘कोरोना से सबसे अधिक मृत्युदर वाले 15 जिलों में 4 जिले उत्तर प्रदेश के हैं. झांसी में हर 10 कोरोना पीड़ित में एक की मौत हुई. मेरठ में हर 11 में से एक कोरोना पीड़ित की मौत हुई तथा आगरा और एटा में हर 14 कोरोना पीड़ित में एक की मौत हुई है.’’
कोरोना वायरस से झांसी के हालात बदतर होते जा रहे हैं। मृत्यु दर के मामले में झांसी अब प्रदेश के दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। साथ ही मामले मिलने पर दो की मौत हो जाने के कारण ललितपुर मृत्यु दर के मामले में प्रदेश में अव्वल है। मंडल के लिए यह हालात बेहद चिंताजनक हैं।
ललितपुर में अब तक कोरोना के सात मरीज मिल चुके हैं। इसमें से दो की मौत हो चुकी है। ऐसे में ललितपुर में मृत्यु दर 28.57 फीसदी है। इतनी अधिक मृत्युदर होने की वजह से ललितपुर प्रदेश में टॉप पर है। झांसी में मृत्यु दर लगभग दस फीसदी है। झांसी में जिस तरह कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं, उसी तरह मौतें भी बढ़ती जा रही हैं। यह हालात बेहद चिंताजनक हैं।
लापरवाही का आलम ये है कि, तिलयाना मोहल्ला निवासी अग्रवाल परिवार के 7 सदस्यों को मेडिकल में आइसोलेट किया गया था ।
(जांच प्रक्रिया की बात की जाये तो, 25 लाख जनसंख्या वाले इस जनपद में रोजाना मात्र दो सौ से ढाई सौ जांच ही सम्भव हो पा रही है और रिपोर्ट आते आते 5-6 दिन का समय लगना सामान्य है)
जब अग्रवाल परिवार की रिपोर्ट आई तब पता चला कि 7 में से 4 लोग कोविड नेगेटिव है, आप स्वयं विचार कर के बताइये कि उन चार लोगों को कोरोना मरीजों के साथ एक कक्ष में रखने पर यदि कोई संक्रमित हो जाता, तो कौन जवाबदेह होता, क्या यह सम्भव नही है कि उस परिवार के 3 कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को संक्रमण उस कक्ष में जा कर हुआ होगा ???
गौरतलब है कि राज्य स्वास्थ्य मंत्री ने बीते महीने जब झाँसी का दौरा कर, मेडिकल कॉलेज का जायजा लिया तो बतलाया कि बुंदेलखंड में व्याप्त
पिछड़ेपन की वजह से मरीज की शिनाख्त उस वक़्त हो पा रही है, जब उसकी स्थिति काबू से बाहर हो चुकी होती है इस कारण मृत्यु दर में इजाफा देखने को मिल रहा है ।
ऐसे अतार्किक शब्दों की मैं कितनी आलोचना करूं, समझ नही आता!!!!
मानता हूं महोदय कि, आमजनता के भीतर इस बीमारी के लक्षणों को लेकर सतर्कता होना चाहिये
लेकिन कहाँ है आपका प्रशासनिक संगठन, कहाँ है आपके कोरोना वारियर्स और कहाँ है वो कथित प्रभावशाली नीतियां ??? जिनके बल पर हमेशा आप जनता को सम्मोहित करने का प्रयास करते रहते है । इस बीमारी की जंग में अगर मुम्बई के धारावी की सफलता की बात करूंगा तो आप मुझे विपक्षी ठहरा सकते है और हो सकता है कि साबित भी कर दें क्योंकि आपके पास छल द्वारा हासिल की गयी बाहुल्यता है ।
खैर, ज्यादा भावुक नही होना चाहता..
मेरी गुजारिश है प्रशासन के उच्च अधिकारियों से, क्योंकि राज्य/केंद्र सरकार से उम्मीद रखना तो स्वयं और समाज के साथ धोखा होगा....
कि उचित निर्णय लिये जायें, 4T's प्रक्रिया (ट्रेसिंग,ट्रैकिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट) को प्रभाव में लाने का हर सम्भव किया जायें और हो सके तो सभी कंटेन्मेंट एरिया में थर्मल स्क्रीनिंग का उचित प्रबंधन कर रोकथाम के उपाय खोजे जायें..
🖋️वैभव चौबे
🖋️वैभव चौबे
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