राजनीति कहें या कहें अपराध की दुनिया

राजनीति कहे या कहे अपराध की दुनिया..?


वैसे तो देश दुनिया इस कृत्य से भली भांति परिचित है क्योंकि राजनीति का एक बहुत बड़ा भाग अपराध है। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बाहर के भी कई देशों में राजनीति और अपराधों का घोल बखूबी परोसा जा रहा है। लेकिन भारत में राजनीति के द्वारा बढ़ता अपराध जोरों पर है, इसका कारण मात्र इतना सा है की हर एक राजनेता अपने आप को राजा सिद्ध करने में लगा हुआ है। इसलिए अपराध फल और फूल रहा है और युवा भी आपराधिक कार्यक्रमो बड़ चड़ कर हिस्सा ले रहे हैं...!
                   भारत में जितने भी बड़े बड़े राजनीतिक दल है! सभी अपने आपराधिक कार्यक्रमों को आगे बड़ा रहे हैं, जो दल सत्ता में होता बही दल इस दौड़ में आगे होता।
किसी भी राजनीतिक दल का एक छोटा सा भी कार्यकर्ता अपने आप को उस दल का सर्वे सर्वा के तौर पर प्रस्तुत करता।

राजनेता कैसे देते हैं अपराध को बड़ावा..?
इस खेल का खेला छोटी छोटी घटनाओं से प्रारम्भ होता है..!
जैसे कोई बिना हेल्मेट या लाइसेंस के पकड़ा जाए या किसी के खेत या प्लॉट का विवाद हो निपटायेगें नेता जी ही और इसमे थानेदार साहब और नेता जी का भी हिस्सा तैय किया जाता है
यह छोटी छोटी घटनायें कानून की नियमावली को तार तार करती हैं, फिर ये राजनेता और पुलिस अफसरों का गठजोड़ देश, राज्य और राज्य की कानून व्यवस्था तैय होती है।
इसके लिए हम देश में बीती घटनाओ के उदाहरण लेते हैं ~


कुलदीप सेंगर जो बीजेपी के विधायक थे। इन्होंने कानून व्यवस्था को तार तार किया रेप और मर्डर जैसे कई केस इन पर और वर्तमान समय में जेल में है!

सुशील सिंह : चंदौली जिले की सकलडीहा सीट से निर्दलीय विधायक सुशील सिंह ने अपने शपथ पत्र में 20 आपराधिक मामलों का उल्लेख किया है। इनंमें 12 केस हत्या से संबंधित हैं।

मुख्तार अंसारी : मऊ से कौमी एकता दल के विधायक मुख्तार अंसारी ने 15 आपराधिक मामलों का उल्लेख किया है। इनमें 8 मामले हत्या से संबंधित हैं।

रामवीर सिंह : फीरोजाबाद जिले की जसराना सीट से सपा विधायक  रामवीर सिंह ने शपथ पत्र में हत्या के 8 मामलों समेत 18 आपराधिक मामले विचाराधीन होने का जिक्र किया है।


अलीम खान : बुलंदशहर से बसपा विधायक मो. अलीम खां ने विधानसभा चुनाव 2012 के शपथ पत्र में हत्या और बलात्कार के एक-एक मामले समेत तीन केस का उल्लेख किया था।

अजय राय : पिंडरा (वाराणसी) से कांग्रेस विधायक अजय राय हत्या के तीन मामलों समेत कुल 8 केस का उल्लेख किया था। विधायक बनने के बाद वह एनएसए में निरुद्ध रह चुके हैं।

वहीं दूसरी तरफ देखिए तो लोकसभा में 542 सासंदों में से 179 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो कुल संख्या का 33 फीसदी है. वहीं, 114 के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. ठीक उसी तरह राज्यसभा के 228 सासंदों में से 51 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 20 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस तरह से दोनों सदन के सासंदों को मिला कर देखें तो 770 सासंदों में से 230 दागी हैं, जो पूरी संख्या का 30 फीसदी है..!

समाधान आपराधिक अभिशाप का ~


प्रशासन को अपने आप देश की राजनीति से आजाद होना होगा। प्रशासनिक अधिकारियों को कानून व्यवस्था को ईमानदारी से लागू करने होगे! अपराध को अपराध की निगाहों से ही देखा जाए उसमे ये ना देखा जाए कि किया किसने है उसकी निस्पक्ष तरीके से कार्यवाहि हो...!
देश की राजनीति में अपराधियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि संसद ऐसा कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें। जन प्रतिनिधि के रूप में चुने जाने वाले लोग अपराध की राजनीति से ऊपर हों। राष्ट्र को संसद द्वारा कानून बनाए जाने का इंतजार है। भारत की दूषित हो चुकी राजनीति को साफ करने के लिये बड़ा प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

                            ✍️धर्मेन्द्र कुशवाहा (डी. के.) 

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