भविष्य बनाने की दौड़ में विद्यार्थि फिर शहरों की ओर भाग रहे है

भविष्य बनाने की दौड़ में विद्यार्थि फिर शहरों की ओर भाग रहे है! 


काॅरोना महामारी के कारण जो शिक्षा पाने वाले विद्यार्थि शहरों में बसे थे। एक झटके में शहर के शहर खाली हो गए अभी पिछले 15 दिनों के आंकड़ों के अनुसार लगातर प्रतिदिन हज़ारों विद्यार्थि शहरों की ओर पुनः अग्रसर हो रहे हैं। इलाहाबाद अर्थार्त् नए प्रयागराज के हाल ही के आंकड़ों के अनुसार कुल पढ रहे विद्यार्थियों में से 60% विद्यार्थि इलाहाबाद शहर में पुनः बास कर चुके हैं कुछ विद्यार्थियों से बात करने के दौरान उनसे पूछे गए सवालों के जबाब इस प्रकार दिए। हमने बात की झाँसी जिले के मऊरानीपुर निवासी प्रेम और मनीष से जो पिछले दो साल से प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है और अभी हाल ही में गाँव में 6 महिने गुजार कर आए उनसे पूछा गया कि अभी शिक्षण संस्थाएँ खुली नहीं हुई है तो आप सब क्यों शहर आ गए है उन विद्यार्थियों का जवाब यूं था कि 6 महिने से पढाई से दूर हूँ और सरकारी सूचना के मुताबिक एनटीपीसी जैसी परीक्षायें दिसम्बर में होनी है तो पढाई का माहौल गाँव में नहीं बन पा रहा था सारी किताबें यही शहर मे ही रखी हुई थी अभी संस्थायें नहीं खुली मानता हूं लेकिन जब तक नहीं खुलती तक self study करेंगे 6 महिने के नागा को पूरा करेंगे तब तक संस्थाएं भी खुल जाएगी।
अगला सबाल उनसे पूछा गया की सरकार की नीतियों पर क्या विचार रखते है
उनका जवाब आया कि सरकार जो भी करे लेकिन इलाहाबाद जैसे शहरों में पड़े उन लाखों करोडों विद्यार्थियों की जरूर सोच ले क्योंकि उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा।
और हाल ही के निजीकरण की नीतियों पर बहुत से विद्यार्थियों ने आपत्ति जताई 


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