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Showing posts from April, 2020

भारतीय समाज की अनेकता में एकता

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       भारतीय समाज की अनेकता में एकता नमस्कार मित्रों मैं धर्मेन्द्र (गुमनाम मुसाफिर) आज एक नये ब्लॉग के साथ उपस्थित हूँ, आज का शीर्षक है भारतीय समाज में अनेकता में एकता। भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे समृद्ध एवं संपन्न संस्कृति है जिसकी मूल पहचान अनेकता में एकता       भारत दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है जहाँ  हर एक धर्म, सम्प्रदाय के लोग एक साथ रहते है ।भारत एक मात्र  ऐसा देश है दुनिया का  जहाँ विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं इसलिए भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है। यहाँ के  लोगों  में भारत की मिट्टी के  प्रति  एक असीम प्यार  भरा पड़ा है, देश में धार्मिक    अड़चनें व्याप्त  मात्रा में फैली हुई है फिर भी लोग समस्याओं   में एक  दूसरे  के साथ खड़े होते हैं हमारे देश में अलग-अलग जाति और धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं, जिनके खान-पान, पहनावा और बोली, परंपरा-रीति-रिवाजों आदि में काफी अंतर है, लेकिन फिर भी यहां सभी लोग मिलजुल कर प्रेम और भाईचारे के स...

भारत में प्राथमिक शिक्षा का स्तर 🖋️

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            भारत में प्राथमिक शिक्षा का स्तर नमस्कार मित्रों, मैं धर्मेन्द्र (गुमनाम मुसाफिर) आपके साथ आप सब ने पिछले ब्लॉग में मुझे असीम प्यार दिया, बस ऐसे ही साथ बने रहे मैं समाज मे फैले कुकृत्य कार्यो को उजागर करके एक नये समाज के निर्माण की ओर अग्रसर करने का एक छोटा सा प्रयास, आज का मुद्दा है प्राथमिक शिक्षा का स्तर कितना गिरता जा रहा है प्राथमिक शिक्षा का अर्थ है , "वह शिक्षा जो बाल अवस्था की 6 वर्ष से  14 वर्ष के विद्यार्थियों को दी जाती है"       भारतीय संविधान में शिक्षा को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा गया है। शिक्षा का अधिकार संविधान (छियासीवां संशोधन) अधिनियम, 2002 ने भारत के संविधान में अंत: स्‍थापित अनुच्‍छेद 21-क, ऐसे ढंग से जैसाकि राज्‍य कानून द्वारा निर्धारित करता है, मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष के आयु समूह में सभी बच्‍चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया ।                        संविधानिक तरीके से सरकार ने शिक्...

सम्प्रदाय से साम्प्रदायिकता की ओर भारतीय समाज

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सम्प्रदाय से साम्प्रदायिकता की ओर भारतीय समाज - नमस्कार मित्रों मैं आपका मित्र धर्मेन्द्र (गुमनाम मुसाफिर) आज के ब्लॉग के साथ उपस्थित हूं, आज का मुद्दा है कि भारतीय समाज सम्प्रदाय से साम्प्रदायिकता की ओर कैसे बड़ा। सम्प्रदाय का अर्थ - एक ही धर्म की अलग - अलग  परम्परा या विचार धारा मानने वाले वर्गों को संप्रदाय कहा जाता है             दूसरे शब्दों में  " साम्प्रदाय का अर्थ होता है किसी विशेष मत या विचारों को मानने बालों का समूह " उदाहरण के लिए सनातन धर्म के ग्रंथो से जन्मे प्रमुख 5 तरह के सम्प्रदाय माने जा सकते हैं। 1.वैष्णव  सम्प्रदाय जो विष्णु को मानते हैं, 2. शैव सम्प्रदाय जो शिव को परमेश्वर मानते है, 3.शाक्त जो देवी को सर्वोपरि मानते है, 4. स्मार्त जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक समान मानते है, जो अब अधिकतर मध्य भारत मे पाए जाते हैं, अंत में 5.वैदिक सम्प्रदाय ब्रम्हा को निराकार रूप मानकर उन्हें सर्वोपरि मानते है।         इसी प्रकार समय के साथ धर्मो के साथ नये - नये सम्प्रदायों का भी जन्म हुआ ज...

भारत में मीडिया का बदलता रुख

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          " भारत में  मीडिया का बदलता रुख" नमस्कार दोस्तों मैं आपका दोस्त धर्मेन्द्र (गुमनाम मुसाफिर) आपके साथ आज के अहम मुद्दे के साथ आज का मुद्दा है, भारत में मीडिया का बदलता रुख । मैं आपका ध्यान उस ओर आकर्षित करना चाहता हूं जिस और भारत 40 % से 50% जनमानस नहीं समझ पाता है मीडिया को समझने के के लिए हमे मीडिया के इतिहास मे जाना होगा भारतीय मीडिया का इतिहास भारत में मीडिया का विकास तीन चरणों में माना जाता है, पहले दौर की शुरुआत 19  वी  सदी में पड़ी  थी अंतर्विरोधी  छाया के कारण मीडिया  दो वर्गों में बट  गया।                 एक भाग औपनिवेशिक शासन का समर्थन करने लगा, और दूसरा भाग स्वतंत्रता का झण्डा खड़े करने बालों के साथ खड़ा हो गया यह दौर 1947 ई. वी तक चलता रहा। इसी बीच अंग्रेजी भाषा के साथ साथ भारतीय भाषाओं में पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशन की समृध्द परंपरा पड़ी और अंग्रेजो के नियंत्रण में रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई। अब दूसरा दौर आजादी मिलने के साथ प्रारम्भ हो गया...