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Showing posts from July, 2020

पत्रकारिता या राजनीति

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                    पत्रकारिता या राजनीति यह बात पूरा देश भली भांति जानता या समझता कि देश किसी अलग ही मानसिकता या विचारो की ओर जा रहा है, आज के ब्लॉग मैं पत्रकारिता के सकरात्मक और नकारात्मक पक्ष को रखने जा रहा हूँ... यह बात भी सब लोग जानते होंगे कि देश का चौथा स्तम्भ मीडिया को कहा जाता, एक समय तक यह देश का चौथा स्तम्भ बना भी रहा, लेकिन अब यह स्तंभ इतना मजबूत नहीं रहा क्योंकि मीडिया ही दो पक्षों में बट गया, जहां तक मेरा ज्ञान है, की मीडिया या पत्रकारिता निष्पक्ष होती है, ना उनका कोई खास या पराया होता है ना वो किसी राजनीतिक दल के सदस्य होते है          अब आपको छोटे बड़े अधिकतर पत्रकार किसी ना किसी दल से ख़ास सम्बंध रखते है, मैं आए दिन देखता हूं सोशल मीडिया पर वो पत्रकार भी है, और किसी दल के छोटे मोटे पद पर भी, असलियत मैं ये पत्रकार नहीं 200 रुपये पर किसी भी दुकान पर बिकने के लिए तैयार होते है मेरे समझ मैं ये नहीं आता कि आप उस दल का पद सम्भाल रहे है या पत्रकारिता कर रहे है। ये उन्हें स...

ऑनलाइन एजुकेशन, बढ़ता डिप्रेशन*

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             ऑनलाइन एजुकेशन, बढ़ता डिप्रेशन* भारतवर्ष, जिसे पुरातन काल में विश्वगुरु की संज्ञा से नवाजा जाता था, वहाँ आज की स्थिति काफी चिंतनीय है। तालाबन्दी से ना केवल हमऔर हमारा देश, बल्कि सम्पूर्ण  विश्व हताहत हुआ है लेकिन इस बात में भी कोई शंका नही है कि अन्य राष्ट्रों की, इस बीमारी के परिपेक्ष्य में रोकथाम सम्बन्धी नीतियां हमसे कहीं बेहतर थी.. जिसके चलते कई राष्ट्रों में पूर्ण अथवा आंशिक विजय पा ली है। भारत में लोकडाउन्न के चलते अनेक गहन समस्याओं में से एक है शिक्षा सम्बन्धी समस्या!!!! इस बात से कोई इंकार नही कर सकता कि किसी राष्ट्र के सुभविष्य की परिकल्पना.. उसके सभ्य, जागरूक और शिक्षित वर्ग पर निर्भर करती है। सरकार द्वारा इन समस्याओं के निवारण हेतु कई नीतियां अपनाई जा रही है.. महामारी के इस दौर में, जो छात्र शिक्षा प्राप्ति से वंचित है। उनके लिये केंद्र व राज्य सरकारों ने मिलकर ऑनलाईन शिक्षा प्रबन्धन का उपाय खोजा है। किन्तु वास्तविकता के आधार पर देखा जाये तो यह व्यवस्था उतनी प्रभावशाली प्रतीत नही हो रही है। सम्भवतः 60 से 7...

सत्ता मामा की दबदबा महराज का!

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*सत्ता मामा की, दबदबा महाराज का* गुरुवार को देश के अजब प्रदेश में गजब तरीके से बनाई गई सरकार के मंत्रिमंडल गठन की प्रक्रिया लगभग रूप से पूर्ण हो चुकी है।  काफी दिलचस्प तथ्य है यह समझना, कि मध्य प्रदेश में बीजेपी मंत्रिमंडल का गठन हुआ है या बाजेपी मंत्रिमंडल में कांग्रेस का विस्तार ? 34 मंत्रियों में से, 33 मंत्रियों का पद वितरण हो गया है। इसमें सिंदिया के ख़ेमे से 11 दलबदल नेताओं को सफलता हाँथ लगी है, 3 अन्य कांग्रेसी बागी नेताओं को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.. इस हिसाब से बीजेपी ने अपनी विशाल दरियादिली प्रदर्शित की है, और करे भी क्यों ना ? कमलनाथ सरकार को गिराने में मुख्य किरदार इन्ही पूर्व विधयकों ने निभाया था। लेकिन इसके विपरीत बीजेपी के कुछ दिग्गज नेताओं जैसे उमा भारती आदि ने जातिगत एवं क्षेत्रीय असन्तुलन का हवाला देते हुए असहमति जाहिर की है और मध्यप्रदेश प्रदेश अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है। जो कि गलत नही है, मध्य प्रदेश के कई ऐसे अनुभवी विधायक है जो 3 बार से लेकर 7 बार तक लगातार विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से विजयी हुये है, इसके बावजूद इस बार उन्हें मंत्र...

झाँसी या उत्तर प्रदेश का वुहान

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देशव्यापी लॉकडाउन के अनलॉक होने के बाद से उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में नोवल कोरोना वायरस संक्रमण की न केवल रफ्तार लगातार बढ़ती ही जा रही है बल्कि अब तक पूरे बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा 19 लोगों की मौत भी यहीं हुई है। देश में शुरू हुए कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में वीरांगना नगरी काफी सुरक्षित समझी जा रही थी। काफी समय तक यहां  कोई संक्रमित नहीं मिला था। यहां 27 अप्रैल को पहला मामला सामने आया था। इसके बाद मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ परंतु संक्रमण की रफ्तार काबू में रही और 12 मई को जिला कोरोना मुक्त घोषित कर दिया गया था। इस खुशखबरी के मात्र 10 दिन बाद ही 22 मई को कोरोना के जानलेवा संक्रमण ने एक बार फिर जिले का रुख किया और मरीजों की संख्या बढ़नी शुरू हुई। अनलॉक होने के बाद तो हालत इतनी खराब हुई कि रविवार देर रात आई संदिग्ध नमूनों की जांच में से 21 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिले में अब कुल मरीजों की संख्या 199 हो गई है जिसमें से 19 की मौत हो चुकी है और 76 ठीक हो चुके हैं। प्रवासी श्रमिकों के आगमन के बाद जहां बाहरी इलाकों में संक्रमण बढ़ रहा...

राष्ट्रीयकरण के दौर में निजीकरण का पैगाम

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         राष्ट्रीयकरण के दौर में निजीकरण का पैगाम                अच्छे दिन की शुरुआत? विगत वर्षो से भारतीय रेलवे के निजीकरण का मुद्दा भारतीय राजनीति में उठता रहा है, इसकी शुरुआत मौजूदा रेल्वे मंत्री पीयूष गोयल ने देश की पहली निजी ट्रेन को 4 अक्टूबर 2019 को हरि झंडी दिखाई यह भारतीय रेल की ट्रेन नही बल्कि कॉरपोरेट ट्रेन अर्थात IRCTC संचालित पहली ट्रेन होने का गौरव प्राप्त कर चुकी है। इसी आधार पर पहली बार केंद्र सरकार की ओर से भारतीय रेल नेटवर्क पर यात्री ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित किया गया है। रेल मंत्रालय ने 109 जोड़ी रूटों पर 151 आधुनिक ट्रेनों के जरिये यात्री ट्रेनें चलाने के लिए निजी कंपनियों से आवेदन मांगा है। इस परियोजना में निजी क्षेत्र का निवेश 30 हजार करोड़ रुपये का होगा।    मौजूदा सरकार और भारतीय रेल्वे के कुछ अधिकारियों का मानना है, कि भारतीय रेल रखरखाव की कम लागत, कम ट्रांजिट टाइम के साथ नई तकनीकि का विकास करना और रोजगार के अवसर को बढ़ाना, बेहतर सुरक्षा और विश्व स्तर...

चीन का पूर्ण बहिष्कार आप कर नहीं सकते

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फायदा क्या है, चीन का पूर्ण बहिष्कार आप कर नही सकते.. 70 प्रतिशत उपचारिक सामग्री  आप चीन से निर्यात करते हैं.. paytm, delhivery, zomato, vivo, oppo ऐसी कई कंपनियां है जिनके बिना आप रह नही सकते..  सत्तादल की तो शुरुआत से ही आदत रही है.. पहले वह मतशक्ति हासिल करने के लिएdairymilk सिल्क दिखती है और बाद में, चार आने की पारले टॉफी थमा देती है..जनता इतनी भोली है कि उसमें ही खुश हो जाती है ।। मुझे शुरुआत से ही टिकटोक, पब्जी ये सारे एप्लिकेशन नापसन्द रहे है, कुछ खास कारण नही है.. लेकिन जो संसाधन आपको लती बनाये वो मेरी समझ में खतरनाक है ।। किन्तु तब भी, टिकटोक एक ऐसा माध्यम था जिसके जरिये कई जमीन से जुड़े हुए लोगों ने समाज में प्रतिष्ठा पाई है और खुद को साबित किया है अतः हम कह सकते है कि यह एक सूक्ष्म वर्ग के लिए ही सही, पर एक प्रकार का रोजगार का माध्यम था । इस पर कोई विरोध नही जतायेगा कि, सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से कुछ लोगों के रोजगार पर प्रहार किया है.. खुलकर चीन का नाम लेने से आप घबराते है, आप क्यों नही मान लेते कि जिस प्रकार भारत-पाक के बीच कोई तुलना नही की ज...